Wednesday 28 October 2015

बस्ती में पानी की समस्या- बच्चो की जुबानी.....................


गिल्बर्ट हिल के बस्ती के कुछ लडकियों ने अपने मोहल्ले की कुछ समस्या लिखी है. उसमे उन्होंने पानी की समस्या सबसे ज्यादा से ज्यादा लोग परेशान है. जो हर कोई हर दिन झेल रहा है. उसी के उपर लडकियों ने उनके आँखों देखी अनुभवो को अपने लेखनी के जरिये बताने की कोशिश की है. 

अल्फिया और अन्य लडकिया कहती है की, हमारे बस्ती में, पानी की बहुत बड़ी समस्या है. सब लोग पानी को लेकर बहुत परेशान है. हम सब यह जानते है की पानी बारीश की वजह से नही आ रहा है. कही-कही पानी आता हि नही. तो वो लोग हंडा, कलश लेकर इधर-उधर जाते है. लेकिन अगर हमारी गली में पानी आता भी है तो कोई उसका सही इस्तेमाल नही करता. हर रोज पानी आने के बाद सभी लोग पानी आने के लिए मोटर (एक ऐसा साधन जिससे पानी बड़े तेजी से आता है) लगाते है. जिस वजह से हमारे घर में पानी नही आता. सभी अपनी मोटर  चालु कर लेते है. कोई भी एक दुसरे को पानी नही देता और अगर देता भी है तो झगडा करने के बाद. हर दिन, हर सुबह हमें एक नया झगड़ा, तमाशा देखने मिलता है. सभी लोग एक दुसरे को कुछ भी बोलते है. जिस की वजह बाकी लोगो को तकलीफ होती है.

इमतियाज कहती है की, अगर हम पानी सही इस्तेमाल करे और पानी को दुरुपयोग ना करे तो पानी भी बचेगा और सभी को पानी भी मिलेगा. अगर हम दस मिनट अपना पानी भर के बंद कर दे तो सभी के नल में पानी आएगा और सभी को पानी बराबर मिलेगा. सभी घरो में मोटर दोपहर के १२ बजे तक चालु रहती है. कोई भी मोटर बंद नही करता. सब अपनी मोटर चालु रखकर पानी को बरबाद करते है. पानी से गली धोते है. लेकिन कोई यह नही सोचता की अगर आज हमे पानी आ रहा तो हम उसका सही इस्तेमाल करे. अगर हम उसको बचायेगे तो कल भी तो हमें पानी आएगा. सभी यह कहते है की इस साल बारिश नही हुई तो इसलिए पानी नहीं आ रहा है. लेकिन अगर हम पानी का सही इस्तेमाल करे तो पानी भी आता है और किसी को तकलीफ भी नही होगी.

मुस्कान कहती है की, बारिश पुरे चार महीने आनी चाहिए थी लेकिन मुश्किल से एक महिना भी नही आ पायी. इसकी वजह से हमें पानी मिलने में बहुत कठिनाई हो रही है. लेकिन हम कुछ नही कर पा रहे है. पानी के लिए लोग तरस रहे है. गली-गली, मुहल्ले में पानी इधर-उधर से लेकर आना पड़ रहा है. मै चाहती हु की जो बच्चे-बूढ़े पानी से तड़प रहे है वो ना तडपे पर मै कुछ भी नही कर पा रही हु. लेकिन दुआ कर सकती हु की पानी अच्छे से हमारे घर में आये और कही से चमत्कार हो जाए की पानी आने लगे. बच्चे-बूढ़े ना तडपे. लेकिन काश ऐसा हो पाता. पानी कम आने की वजह से लोग अपने घरो में मोटर लगवा देते है. जिस की वजह से दुसरो को जरा भी पानी मिल नही रहा है. लेकिन आप सोच रहे होगे की दुसरे लोग भी अपने मोटर लगा सकते है लेकिन वह गरीब होते है. जिस की वजह से वह मोटर नही लगा सकते. ऐसे वक्त में उन लोगो को दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. जिस वजह से कमर में दर्द होता है. गिर गए तो चोट लग सकती है. तो औरते अपने बच्चो ख्याल कैसे रखेगी? जिस डर की वजह से वह नही जाती. मै दुवा करुगी की सब के घर में पानी आये.

(उनके इस लेखनी को पढने के बाद मुझे लगा की, बच्चे जो मन में सोचते है या बोलते है वैसे का वैसा हि लिखते है. उसे पढ़ते वक्त लगता है की कितनी टूटी-टूटी बात करते है. लेकिन सुनते वक्त ऐसा लगता नही. बच्चो की इन बातो को पढ़कर लगता है की बच्चो का निरिक्षण, सोच लोगो के प्रति या परिस्थिति के प्रती काफी बारीक़ है. यहा से हि तो उनमे उन भावनाओं की नीव शुरू हो जाती है. उसमे भी अब ज्यादा जरुरी है बच्चे अब खुद से बाते करना शूर कर दे.

बच्चो के सवालों के जब जवाब मिलते है तब पता चलता है की प्रॉब्लम का सलूशन की कितना छोटा है. और ना हि समस्या बड़ी है. उन्हे पढने के बाद लगता है की, समस्या नाम की कोई चीज नही है. उनके बातो से केवल समस्या का समाधान यही है की, एकदूसरे को मदद करना, बन्धुप्रेम दर्शाना, समझदारी से रहना. बस इन बातो को अगर रोजमर्रा जीवन में इस्तेमाल करेंगे तो इंसानों को जीवन जीना कितना आसान होगा. जो भी बहिर्मुर्ख समस्या है वो समस्या ना लगते हुए उसका सीधा हल केवल इंसानों के एकदूसरे के समझना है. और उसके तरफ अपने जीवन को ले जाना है ताकि जीवन कितना सुकर हो जाए. उनके विचारों के लेखनी में मुझे किसी भी तरह के पूर्व धारणाये नजर नहीं आती वे केवल जो दिखता है उसके उपर वो समाधान खोजने की कोशिश करते है. उनके लेखनी में मुझे काफी इंसानो के साथ का कनेक्शन दिखाई देता है. बाकी उनके अंदर हि अंदर किसी मूल्य की नीव भरने की कोशिश हो रही है.)


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