Thursday 11 June 2015

मेरे जीवन में अनुभवो का दस्तख..........................

जिंदगी की कई सारे अनुभवो से मै गुजर रही हु. वाकई में जीवन एक मुसाफिर की तरह लगता है. न जाने कितने अनजान चेहरे मेरे सामने दस्तख देते है. कभी-कभी लगता है की, वो चेहरा, वो बाते बड़ी ही जान-पहचानी सी लगती है. लगा की पूछ लू. लेकिन जानती हु, की उस व्यक्ति से मै कभी भी पहले नही मिली हु.

वक़्त का भरपूर इस्तेमाल करती हु. लोगो से बातचीत करते हुए, कभी वो अपने जीवन के बारे में बताते है. तो कभी वो अपने काम के बारे में बातचीत करते है. अच्छा लगता है उन्हें सुनना है. और सुनकर उनके जीवन के रहस्य को जानना की वे अपने जीवन को कैसे बिताते है. और यह भी जब मौक़ा मिले तब होता है. बाकी मेरे colleague कोई सवाल नही करता की क्या बाते करती हु या कौनसी बाते चल रही है. मुझे अच्छा लग रहा है परिवर्तन में. एक एक नयी-नयी बातो की पहचान भी चेहरों के साथ हो रही है.

जिस जगह प्रभात रोड में रहती हु, जैसे की टाटा कॉलोनी याने पारसी कॉलोनी जैसे लगती है. बहुत शांत है, लोग भी आस पड़ोस नही टहलते. सूना है की, बुजुर्ग लोग रहते है, क्योंकि उनके बच्चे अन्य देशो में रहते है. तो वही बुजुर्ग महिला, पुरुष walk, जॉगिंग के लिए सुबह-सुबह और शामको निकलते है. अच्छा लगता है उन्हें देखते हुए की उन्हें इस उम्र में भी अपने सेहत का ख्याल है. कभी ना सोचा था की इस तरह के जगह में मै रहूंगी. हां यह तो सोचा था की निसर्ग के सानिध्य में जगह मिल जाए तो क्या बात हो जाए. तो वाकइ में ऐसी ही जगह है, काफी पेड़ है रास्ते पर. और आम के पेड़ तो उससे भी ज्यादा है. हर दिन इस आम के सीजन में आम रास्ते टूटे हुए गिरे होते है. उन्हें  देखकर अच्छा नही लगता क्योंकि ऐसे लगता है की काश वो खाने के लिए मिल जाए. फील्ड से आने के बाद जब में अपने इस प्रभात रोड के गली में घुस जाती हु तो लगता है की, जिदंगी अब दोबारा मिल गयी. थकावट न जाने कही और गुम सी हो जाती है. लेकिन रूम में जाने के बाद तो नींद तो आ ही जाती है.

इसलिए पढना नही हो पा रहा है. बहुत ही थकान होती है. लेकिन लगता है की उससे भी निजात पा लुंगी. लेकिन कैसे नही जानती लेकिन अब काम करना है तो जिम्मेदारी वाले भाव पैदा हो जाते है. तो पढ़ना है तो पढ़ना है. आते ही मैंने बहुत कुछ पढ़ना वैसे शुरू किया है जैसे की, psychiatry narrative, फिर कुछ आर्टिकल्स अपने काम के सिलसिले में, फिर copsi मैन्युअल जिसके आधार पर ही अपना काम पूरा चल रहा है, उसके साथ अल्बर्ट एलिस के जीवनी को पढ़ा. उसके जीवन में केवल और केवल अनुभवो से भरा हुआ है. लगता है की अपना जीवन भी वैसा हो. या फिर कुछ एक हिस्सा अपने जीवन में जरुर हो ताकि जीवन को सुखी कर पाऊ.  

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