Saturday 2 May 2015

संवाद की जरूरत बताये एक दादी जी........................

कल का दिन थोड़ा संघर्षमई था मेरे लिए. एक बाप से उसके बेटे के लिए झगड़ रही थी. वो बता रहे थे उसके 23 साल के बेटे के बारे में, की बहुत शांत स्वाभाव का है, वो क्रिकेट खेलता था, दसवी में उसे एकदम अच्छे नंबर आये है लकिन उसे एडमिशन नही मिला. इसलिए उसने कुछ सरकारी भर्ती में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उसका नुम्बर न आया. इसलिए जब वो घर पर लौटा शाम को, उसने अपने पिताजी को कहा की, “मुझसे गलती हो गई हैऔर वो सो गया. उसके अलावा उसने कुछ भी नही कहा उसके पिताजी को लेकिन थोड़ी देर बाद वो उलटी करने लगा था. सुबह हो जाने के बाद कुछ भी वो नही बोला. उस दिन के बाद से वो बोलना कम ही गया था. उसको किसी रिश्तेदारों के घर भेजा गया. और वहा से आने के बाद उसका जीवन शांत हो गया था. उसके कुछ एक साल बाद उसका ट्रीटमेंट शुरू हो गयी psychiatrist के पास, और अब चार साल हो गये की वो दवाई ले रहा है. चुप-चुप चाप रहता है. पिताजी कह रहे थे की उसी ही दिनों में उसे ट्रीटमेंट के लिए ले जाना चाहिए. उसके साथ बेटा कह भी रहा था की उसे डॉक्टर के पास जाना है लेकिन वो ले नही गये.

मैंने पिताजी से पूछा आप क्या चाहते है अपने बच्चो के लिए तो वो कह रहे थे, की वो किसी अच्छी जगह नौकरी पर लगे. किसी अच्छे हुद्दे पर पहुचे, जैसे की मै इतने बड़े लेवल पर काम कर रहा हु, हर दिन 50 लोगो को मिलता हु, श्रेणी के लोगो को ट्रेनिंग देता हु. तो मै चाहता हु की मेरा भी बेटा उस बड़े हुद्दे तक पहुचे. मै चाहता हु की वो सरकारी नौकरी करे. सरकारी भर्ती के लिए बैठे, एमपीएससी-यूपीएससी परीक्षा दे. वो 2-3 हजार की नौकरी करे यह मुझे पसंद नही.
 
इस बात पर मुझे गुस्सा भी आ रहा था. मैंने अपने आप को थोडा रोककर पिताजी को समझाया की जिस हालत में आपका अपना बेटा है तो उसके साथ आप इस तरह की अपेक्षा नही कर सकते है. पहले तो उसे अपने पिछले जीवन में वापिस जाने की जरूरत है, जो स्पोर्ट्स खेलता था उसमे उसे फिर एक बार ले जाए. उसके दोस्तों के साथ मिलवाये. वो खुद चलकर नही जायेगा बल्कि उसका हाथ पकड़कर ले जाइए. जैसे बचपन में उसको हाथ पकड़कर चलाना सिखाया था वैसे ही, उसे चलाना सिखाइए और धीरे-धीरे हाथ छोड़ दीजिये. (पिताजी का सर नीचे था, कोई भी आय कांटेक्ट मेरे साथ नही था, शायद अपनी गलती को वे महसूस कर रहे होगे), उसके उम्र के दोस्तों के साथ पहले उनसे मिलना शुरू कर दे. क्योंकि उसकी आज की जो लाइफ में पूरी थम सी गई है.

कल देखा मैंने चेहरे पर जीवन के लिए कोई भी भाव नही. खुद में कोई भी आत्मविश्वास नही. की वो आगे बढ़ सकता है. क्योंकि अब वो किसी मानसिक विकार से ग्रस्त है. उसकी रिकवरी तो चल ही रही है पर जो आत्मविश्वास उसने जो खोया है, उसे फिर से पाने की जरूरत है. और मुझे यकींन है की उस लड़के के पिताजी ही कर सकते है. पिताजी बता रहे थे की. उन्होंने इतने सालो से अपने बच्चो के साथ बाते नही की और अपने बीवी के साथ भीक्योंकि वो सवांद नही कर पाएमैंने उनसे कहा की वो कर सकते है, क्योंकि वो कौशल्य उनमे है. क्योंकि वो आज बहुत जगह घूमते है, लोगो से मिलते है, बातचीत करते है. तो अब बारी है की वो अपने परिवार को वक्त दे और खुद को भी अपने लिए वक्त दे.

यह संवाद घर में ना होना कितना ही बुरी तरीके से बच्चो, बाकी लोगो के जीवन में परिणाम करता है. उस पिताजी की माँ भी मुझे कह रही थी. यहापर तो कोई बाते ही नही करता. हर कोई अपने काम में व्यस्त है. लेकिन जब मै बात करती हु तो मुझे अच्छा लगता है. मेरे सर का दर्द कम हो जाता है. यह ६०-७० साल की औरत मुझे सवांद के बारे में बता रही थी की कितना जरुरी है. जो मैंने पढ़ते वक्त जाना, काम करते वक्त जाना. लेकिन घरो में संवाद नही इसलिए कितने सारे प्रश्न उपस्थित हो उठते है. अगर वही परिवार ग्रामीण में रहते हुए, एकदम अंदर की तरफ रहते है तो समस्या और भी गंभीर हो जाते है. लेकिन यही परिवार शहर की तरफ हो भले ही संवाद ना हो घर के अंदर लेकिन दोस्त, पडोसी, मिडिया की वजह से जीवन को अच्छा बनाने की कोशिश खुद से ही लोग करते है उसमे किसी की जरूरत नही होती. तो देखा है मैंने उन लोगो को जिन्होंने अपने जिन्दगी बेहतरी की और ले गए है. 


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