Thursday 12 March 2015

Gratitude note to all my course people............................

आखिर के दिन है अब टिस में. बहुत कुछ सीखा अपने दोस्तों और टीचरों से. और आगे भी यह सीख जारी रहेगी. इन सबसे जो भी सिखा वो काबिल-ए-गौर है! ऐसे लोग के साथ रहकर जीवन को खुशियों से भरने के लिए बहुत मदद मिली. मेरी तरफ से इन तामाम लोगो को शुक्रिया कहने का दिल कहता है. जानती हु बिदाई का दिन दूर नही. लेकिन आज लगा की, मन की बातो को साझा करना है आप सभी लोगो के साथ.

जब भी क्लास में theory समझ नही आती थी. टीचर की कोशिश होती की, वो मुझे मेरे भाषा के संज्ञानो में समझाये. उनकी डेढ़ सारी reading को देखते हुए लगा की कितने बरस बीते जायेगे इन्हें पढने के लिए? लेकिन कोशिश यही रही की कुछ तो हिस्सा काउन्सलिंग का पढ़ पाई. क्योंकि जीवन के तमाम व्यस्तता के कारण reading हो नही पाई. लेकिन अब समय आनेवाला है जब हम जमीन पर उतरकर काम करेंगे और reading भी उतनी ही स्ट्रोंग हो जायेगी.
कई सारे लिखित असाइनमेंट अपने जीवन और आसपास के लोगो के जीवन से जुड़े हुए थे. उसमे जिंदादिल शब्द देने की कोशिश की है. लेकिन अपने भाषा में न लिखने के कारण थोड़ी सी दिक्कत हुई. अंग्रेजी लिखने से बहुत सारे शब्दों का इस्तेमाल करना सीख लिया उसके साथ अंग्रेजी में लिखने से लग रहा है की अपनी राइटिंग स्टाइल थोड़ी सी अच्छी हुई है. जब अपने दोस्तों को grammer वाला भाग दिखाती थी तो छोटी-छोटी और कम से कम गलतिया निकलती है तो इस बात से ख़ुशी होती है की, अब लिखना थोड़ा अच्छा हुआ है. बाकी बात करना भी तो सीख लिया, हमेशा कोशिश होती है बेहतर ढंग से बाते कर पाऊ. उसमें अपने undergrade और अब के दोस्तों ने काफी मदद की.

टिस के छोटे-बड़े लम्हे हमेशा याद रहेगे तो वो अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल में की जानेवाली बातचीत हो, या फिर चार घंटे वाली वो क्लास हो जिसमे लेक्चर, सवाल-जवाब, लिखने का फायदा बहुत उठा पाए. उससे भी अपना कन्वेंशन सेंटर जहा पर fc की क्लास होती थी. ऐसे लगता था की स्टूडेंट वहापर ac और नींद का आनंद उठाने आये हो. या क्लास में पूछने वाला प्रश्न हो. इस बात से अपने उस क्लास टीचर की याद आती है जो मुझे कहती है, “सुमिता के सवाल कभी खत्म नही होगे”. सवाल और जबावो का सिलसिला जीवन में शूरू है. कुछ सवालो के जवाब मिला है तो किसी सवालों के जवाब की खोज जारी है. 

जब भी फिल्ड वर्क के लिए स्कूल या अन्य जगह में जाती थी तो अपनी जिंदगी लोगो से काफी मिलती-जुलती थी. ऐसा ही सवाल तीसरी क्लास के बच्ची ने मुझे किया था, “क्या आप बिल्डिंग में रहती हो”. उस वक्त कुछ ना कह पाई, लेकिन घर लौटने के बाद, इस सवाल का जवाब अपने लैपटॉप के सफ़ेद पन्नो में उतार दिया. उस दिन लगा की उनके और मेरे जीवन में तो काफी समानता है. कुछ बातो का सिर्फ फर्क हो सकता है. काउन्सलिंग के स्टडी ने तो मुझे सिखाया है की अपने जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश हो ना समस्याओं से भागना.

अपने काफी सारे दोस्त भारत के अन्य क्षेत्र से और बाकी देशो से पढने आये है. उनके साथ की बातचीत तो हमेशा याद रहेगी. यहापर मुम्बई में बैठे हुए उनके जगह, उनके लोगो को अपने अपनी निगाहों से घुमा रही थी. इस बात की ख़ुशी है अब अपनी पहुच दूर-दूर तक है. जब भी किसी भी स्टेट में जायेंगे तो जरुर अपने इन दोस्तों से मुलाक़ात होगी. वो जगह मेरे लिए अनजान ना होगी वो तो मेरी अपनी होगी. इस बात का दुःख होता है की कितने सारे अपने दोस्त अपने घर फिर से लौट जायेगे लेकिन कोई नही रिश्ता तो रहेगा ही तो वो फेसबुक से हो या जीमेल से. इन रिश्तो कनेक्शन बनाए रखने से एकदूसरे को प्यार जताने जैसा है.  

हॉस्टल में रहने से पहले लगा की, अपने दोस्त कितने शानो-शौकत से रह रहे है. उन्हें कोई दिक्कते नहीं है. लेकिन जब खुद इस हॉस्टल वाले दौर से गुजर रही हु. समझ आ रहा है कितनी सारी दिक्कतों का उन्हें भी सामना करना पड़ता है. दूसरी तरफ घर से दूर-रहकर अपने जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे है. अपने इन दोस्तों को सलाम करने को मन कर रहा है.  

बाकि टिस के कई सारे कार्यकृम को अटेंड किया कुछ कार्यक्रमों में जा नहीं पाई. लेकिन इतनी तो खुशनसीब हु की वो सारी चीजे मिली मुझे यहापर जो शायद आनेवाले जीवन में ना मिले.

काउन्सलिंग कोर्स में खुद को जानने और पहचानने को फिर एक बार मौक़ा मिला. अपने जीवन में और कुछ वैल्यू भी एडेड हो गए. जो अपने और प्रोफेशनल जीवन को बेहतर बनाने के लिए मदद करेगा.

टिस में आकर अपने आजाद-भरी जीवन को महसूस किया है, तो वो खाने से हो या कपडे पहनने से हो या दिलखोलकर लिखने से हो. यह अपनी मनमर्जी मुताबिक़ रहने की ख़ुशी को बड़े ही शिद्दत से महसूस कर पाती हु. इतनी आझाद भरी जीवन को देने के लिए टिस को बहुत-बहुत शुक्रिया!


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