Thursday 12 February 2015

न जाने क्या खोज रही हु मै..................................

जीवन की इस राह पर न जाने क्या खोज रही हु मै

मै नहीं जानती यह जीवन ऐसा क्यों है

कोई कहता है जीवन ऐसा ही है

मै जानते हुये भी अपने आप से अजनबी हु

जो मै जाना और महसूस कर रही हु

वो मुझे समझमे आता है

लेकिन हालातों को देखते हुए

उसे स्वीकारना ही था

मै जानती हु, मुझे समझ है

चीजो को अलग-अलग नजरिये से देख पाते है


लेकिन तब पर भी अपने आप से मजबुर

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