Tuesday 25 November 2014

मेरी माँ मर गई...............................................

आज चौथी कक्षा के बच्चे से बात हुई. मेरे साथ अपनी दोस्त भी थी. टीचर के यह कंसर्न थे की बच्चा बात नहीं करता, उसकी सोतेली माँ है. उसकी दादी उसे संभालती है.

मैने और अपनी दोस्त ने बच्चे के साथ बात करने के लिए शुरुआत की. बच्चे के बारे में उसके परिवार के बारे में पापा, दादी, बहन है. मम्मी का भी जिक्र किया. बहन के बारे में जो उससे बड़ी है और वो काम करती है.

बच्चे के चेहरे पर काफी ख़ामोशी थी. उसकी आखे पानीदार थी. शायद पहली बार मुलाक़ात थी इसलिए थोड़ा डर होगा. उसे बैट-बॉल खेलना पसंद है. अपने कुछ दोस्तों के उसने नाम भी लिए. खाने में पूछा तो कुछ भी नहीं कहा. जितना उसे पूछा उतना ही उसने कहा. जो समझ नहीं आता तो वो चुप बैठ लेता. तो मै उसे फिर से पूछ लेती.


उसे पूछा की पढ़ना पसंद है तो कुछ नहीं कहा. तो पूछा की, चित्रकला करना पसंद है तो कहा की, “हां”! तो उसे एक पन्ना, पेपर, पेंसिल, खोडरबर(इरेज़र), कुछ रंग दिए. तो उसने अपने बहन, खुद और झंडे का चित्र निकाला. उसे अलग-अलग रंगों से चित्रोंको रंगाया.

मैंने उसे उसके रोजमर्रा जीवन के बारे में पूछा, की उसका ध्यान कौन रखता है? सुबह नास्ता के लिए तैयारी कौन करता है? कौन नहलाता  है? कौन कपडे कौन धोता है? उस सबके लिए एक ही जवाब था, “दादी (आई)”. फिर से पूछा की घर में कौन-कौन है. तो उसने सबके नाम लिए, और आखिर में कहा की, “मेरी माँ मर गई....................यह वाक्य उसने हिंदी में कहा बाकी जो भी सवांद उस बच्चे के साथ रहा तो वो मराठी भाषा में था. यह मुझे हमेशा याद रहेगा. बच्चे के आँखे और मुझे पानीदार दिखाई देने लगी. ऐसे वक्त में क्या कहू? कुछ समझ नहीं आ रहा था. अपने दोस्त के भी आँखों में आसू नजर आने लगे. मैंने दोस्त को पानी दिया. वो क्लास से बाहर निकल गई.  बच्चे को क्या बोलू समझ नहीं आया. तब पर भी उसे पूछा की बुरा लग रहा है क्या? वो निरुत्तर था. फिर मैंने कुछ और बाते करने लगी. तब तक उसका चित्र बनाना भी पूरा हो गया. उसे जाने के लिए कहा. अपनी दोस्त को कहा की कुछ कहो. उसने मुझे कल मिलते है कहकर वो भी चली गई. और मै ऐसे अकेले बैठे रह गई. फिर कुछ तो लिखा डायरी में और हेडटीचर को पूछकर मै भी घर की और चल दि. 

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