इस तीन दिन के प्ले conferance में कई सारे लोगो
से मुलाक़ात हुई. बहुत सारी बातचीत हुई, सवाल-जवाब हुए. जिनकी अपनी संस्था है वे
बच्चो के साथ अपना एक एजेंडा ले जाते हुए काम कर रहे है. अच्छा लगता है ऐसे लोगो
से मिलने के बाद. ऐसे लगता है की उन्ही के संस्था में काम करना चाहिए. लेकिन अपना
इंटरेस्ट ही मुझे आगे ले जाएगा.
मै सोच रही थी, काउंसलिंग में आने के पहले मेरी
मुलाकत, कई सारे लोगो से हुई थी जैसे की मेरे नेबर हो या दोस्त या फिल्ड में जाने
के बाद जो लोग मिलते थे वो. लेकिन उन सारी लोगो की अगर मै कहानी लिखने जाऊ तो पता
नहीं कितनी सारी कहानियो की किताब बनेगी. उस एक-एक करके बातो को लिखना उसका अपना
मजा होगा जैसे की नौकरानी के डायरी में लिखे हुए पन्नो की तरह.
ऐसा लगता है की जीवन एक कहानी है. अपने जीवन की हर बाते एक
कहानी का रूपधारण करती है. उस जीवन की कहनियों में भी कहानियाँ बनती जाती है. वो
ऐसे ही आगे बढ़ते जाती है. वो कभीं नहीं थमती. कहानी के कई रूप होते है. कुछ
कहानियाँ सच्ची होती है तो कुछ देखी, अनकही, झूठ, गंभीर, परेशान करने
वाली होती है. उसके पात्र एक वक्त में कई सारे होते है. कुछ कहानिया बदलती रहती है
तो कुछ हालतों से बदलती रहती है. वैसे तो कहानियों का बदलना उसका गुणधर्म होता है. कहानी के कलाकार कई सारे होते है. कुछ
कहनियों में एक ही कलाकर होता है. इस कहानी को रंग लाने के लिए कई सारे बातों को
डाला जाता है. कुछ कहानी एक दिन की होती है तो कुछ कहानिया एकदूसरे से जुडी हुई
होती है. कुछ कहानी से सदियों से बनी हुई होती है तो जिसे ना कोई बदल सकता है पर
कुछ लोग उसमे और कुछ बाते डालकर उसे बदलते रहते है. कुछ कहानियाँ बनी हुई होती है
तो कुछ कहानियों को बनाया जाता है. इन कहानियों को समझने के लिए उसे सुने ताकि उन
कहानियों को समझ पाये. और हो सके तो उस ही वक्त लिखा जा सकता है. ताकि उस कहानीको
शुरू से समझ पाए और उसका सीक्वेंस लगातार देखा जा सकता है. लेकिन वही सीक्वेंस को
बीच में टूट भीं जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन को और एक कहानी बन जाती है. फिर और
एक मोड़ के लेते हुए वो आगे बढती है. इस कहानी के पात्र बड़े मजेदार होते है कोई
बहुत सुंदर, कोई हसाऊ, पढाऊ, बकने वाला, कोई गुस्सा करनेवाला. कहानी तो कहानी होती
है उसमे अपनी-अपनी बाते होती है.
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