Thursday 14 November 2013

क्या यही जिंदगी है?.............................




ऐसा लग रहा है कि जिंदगी एक अनुभव है जिसे मैं जी रही रही हू|

इसे जीते वक्त पता नहीं चल रहा है कि, कि कया सही है? और क्या गलत है?

बस्स ! इसे जी रही हू|

क्योंकि जिंदगी को करीब से देखना का मौक़ा मिल रहा है और उसे समझने का |

जिंदगी क्या है यह पता है  और कही पर पता भी नहीं चल रहा है |

शायद यही जिंदगी है !


वैसे तो इस समाज मैं जिंदगी का तो इशु बनाया जाता है !

कि ऐसा करा वैसा करो |

पर क्यों करे ?

क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि, जिंदगी को बस्स अनुभव करो

और इस दौरान तुम्हारे साथ जो हो रहा है उसे देखो और समझो |

पर इसमें कोई भी शक्स रिस्पोंसिबल नहीं होगा क्योंकि इस जिंदगी को तुम जी रहे हो |

और उसे जितना सामन्य लोगे उतना ही आसान होगा

क्योंकि विपश्यना मैं कहा गया है कि, जो तुम्हारे साथ हो रहा है उसे अनित्य भाव से देखो |

यहाँ पे अपने या किसीके के उपर इल्जाम लगाने कि जरूरत नही |

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