Thursday 14 November 2013

मेरी माँ की प्यारेटिंग



मेरी माँ जिसने मेरे साथ जो दिन बिताये याने की मेरे जीवन के २२ साल बहुत महत्वपूर्ण थे| और आज मुझे उसके प्यार, मुझे देखनेका का नजरिया, मेरे साथ व्यवहार यह सारी बातोंका अहसास मुझे अब उम्र के २५ साल मैं हो रहा है| खैर माँ को समझने में मैंने काफी दिन लगाये| पर उस बात का मुझे अफसोस नहीं है, क्योंकि मैंने अपने माँ को समझ तो लिया है!

मेरी माँ का मेरे साथ रहने का तरीका काफी बेहतरीन था| उसने पहली बात तो मुझे किसी भी बात मे नानहीं कहा| अब तो मैं इतनी बड़ी हो रही थी, तो उसने मुझे किसी भी बात पर ऊपर टोका या रोका नहीं| उसने मुझे बहुत सहजता से लिया| इस रिश्ते का उसने मुद्दा नहीं बनाया| यह रिश्ता हमारे बीच एक इन्सान को देखने या समझने का था|

दूसरी बात उसने मुझ पर किसी भी तरह का दबाव नहीं रखा जैसे, “अभी तु बड़ी हो गई है, तो तुझे अब सलवार सूट पहनना है, उस पर दुपट्टा लेने की जरुरत है, “ तुझे अभी गहने पहनने चाहिए, या तुझे फेशियल/ब्लीच करना चाहिएइत्यादी| उसने मुझे हमेशा जो कपडे चाहिए वे कपडे पहनने की इजाजत दी| वैसे देखा जाए तो माँ को इस मामले में कुछ पड़ी नहीं थी और तो और वह बाते उसके स्वभाव में नहीं थी मेरे बेटी ऐसा या वैसा करना चाहिए|

तीसरी बात माँ ने ३ या ४ बार के अलावा मेरे ऊपर कभी हाथ नहीं उठाया| वैसे तो माँ को पिटाई करना अच्छा नहीं लगता| उसने जब भी मेरे ऊपर हाथ उठाया तो कुछ महत्वपूर्ण कारण के वजह से उठाया था| तो उस वजह से मेरे मा पर मुझे कभी डर नहीं रहा, और आज भी नहीं है

मेरे मामले मे मुझे ऐसे लगता है की वो मुझे जैसे मैं हु वैसा ही देखती थी| पर उसकी कुछ बाते मेरे ऊपर अपेक्षा के रूप में रखती थी| जैसे, वो कहती थी की, “हमेशा हसता चेहरा रखना चाहिए, किसी के पंगो में नहीं आना चाहिए, मेरे साथ बात करनी चाहिएइत्यादी| तो यह बाते मेरे ऊपर कोई दबाव पैदा नहीं करती क्योंकि यही सारी बाते मेरे पास ट्रांसफर हो गई है| हा! पर कभी तो गड़बड़ हो जाती थी, तो वो मेरे ऊपर गुस्सा हो उठती जैसे में पुरे दिन खाना नहीं खा रही हु या उससे बात नहीं कर रही हु तो उसे काफी गुस्सा आता है|  

माँ ने तो पूरा पेरेंटिंग का रोल अच्छी तरह से निभाया| वैसे तो हम तीन भाई बहन है| तो मेरे साथ एकदम बेस्ट माँ बनी है, भाईयोंका का नहीं पाता की वे माँ के बारे क्या सोच रहे है?

माँ की तो यह बात ना की मुझमे स्तिमित दिखी तो हमारे आसपास के के जो छोटे बच्चे है उनके साथ भी मैंने यह व्यवहार देखा और वो आज भी है| इसलिए हमारे यहा के बच्चे माँ के साथ काफी अच्छा महसूस करते है| माँ  को देखते है सारे बच्चे उसके तरफ खिचे आ जाते है|

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