Tuesday 12 November 2013

रिश्तो के विचार...........................


मै उर्वशी के घर रुकी थी जब मेरे पास गाडी नहीं घर वापस लौटने के लिए| उर्वशी के घर उसे दादा जो शिशोद स्कूल में हेडमास्टर रह चुके है| अब वे सेवानिवृत्त है| उसकी दादीजी भी है| उर्वशी के ३ भाई है| उसमे से बड़ा वाला १२ वी, दूसरा १० वि, उर्वशी ७ वि और उसका भाई ६ थी में है| उसके पापा कुवेत में काम करते है| और वे वापिस लौटने वाले है|
उर्वशी के बगल के घर में राहुल भी रहता है जो ७ वि कक्षा में पढता है| वह उर्वशी के नाते-संबंध में ही आता है| राहुल को माँ नहीं है सिर्फ पापा है जो गाडी चलते है| राहुल को घर का काम अपने और से करना पड़ता है| वो कह रहा था की, मै इतना सारा काम करता हु तो मुझे रोना आता है|” मै उसे कहा की, “काम करते हो तो उसमे कोई गलत नहीं है, क्योंकि तुम तुम्हारे घर का तो काम करता हो|”
मुझे लगा की, एक बच्चे को कितना सारी जबाबदारीयोको लेके चलना पड़ता है| एक बात उसे अपने जिंदगी में सिखने मिलेगी की, वो बहुत धैर्यवादी होगा, वो हर सारी मुसिबतोको पार कर जाएगा|
कहा है वो मेरे सारी सहेलिया| जो मेरे साथ कितने गप्पे मारती थी? हम कितना मस्ती-मजाक करते थे?
सुना है की कुछ दोस्तों की शादी तक हुई है| जब में १० वि या बारहवी में थी| शायद कुछ सहेलियोंको बच्चे तक हुए है| पता नहीं, उनके जिन्दगी में यह शादी का दौर कैसे आया वो भी इतनी जल्दी? अभी तो उनके पढने-लिखने के दिन थे, जहा पर वे अपना भविष्य सीढ़ीया खुद बनाते| क्यों उनके परिवार ने उनकी जल्दी शादी कर दी? क्या उनके माता पिता ने यह नहीं सोचा होगा की, जिस दौर से उनकी जिन्दगी गुजरी उनकी बेटीयोंकी भी जिंदगी में ऐसी ही होने की संभावना है? या फिर वह खुशहाल जिंदगी नहीं जी पायेंगे? क्या करे मै उन माता-पिताओंके हालातोंको समझने की कोशिश कर रही हु| क्योंकि वे खुद भी यही चाहते है की, उनके बेटीया खुश रहे| उस वजह से वे शादी करके यह समाधान प्राप्त कर रहे है जिससे उन्हें लगता है की, अब सबकुछ ठीक हो जाएगा| उन्हें लगता है की, शादी करने से जिंदगी में सुरक्षा मिल जायेगी| ताकि बेटियोंको तमाम तरह के हालातों से ना गुजरना पड़े|
अपनी एक दोस्त............ की  याद आती है जिसने अपने रिश्ते में लगे हुए इंसान से शादी की, जो इस समाज को लोंगोंके लिए काफी अजीब रिश्ता है| पता नहीं उसने यह फैसला कैसे लिया| क्या उसके लिए यह अजीब रिश्ता नहीं होगा? क्या उसने यह नहीं सोचा होगा की, मै अगर शादी करोगी की तो मेरे परिवार वाले इस रिश्ते को अपनायेंगे या नहीं? क्या शादी के बाद वह खुश रह पाएगी? मुझे लग रहा है की, शायद इस सारे हालत को जान तथा समझ भी रही होगी| पर वो वही करना चाह रही थी जो वो चाहती थी| तो बस वो अब उसे दो बच्चे है| वो अपने पति साथ खुश है या दुखी है| या फिर वो सोच भी रही होगी की, उसने जो भी किया अपने जिन्दगी के साथ गलत किया या सही किया|
रिश्तो के इस जालो में इंसान को रहना ही है| क्योंकि वे ही एक दुसरे के साथी है जो एक दुसरे को मदद करेंगे, समझेंगे, जानेगे तथा वे एक दुसरे के करीब या साथ रहेंगे क्योंकि अकेला रहना व्यक्ति के जहन में नहीं है


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