Tuesday 3 September 2013

टेम्पो के बिना.................


१३ फरवरी २०१३  

आज कक्षा सातवी के बच्चो ने टेम्पो के सवारी के बारे में लिखा......................... 

अरविंद

टेम्पो २ लाख रूपये में मिलता है| सबसे पहले टेम्पो खरदीने के लिए पैसे कमाने पड़ते है| मेरा दोस्त पूछता है की, टेम्पो खरदीना नहीं है क्या? मै कहता हु खरदीना है| मै पूछता हु की टेम्पो में कितना सवारिया बैठ सकते है? वह बोला लगभग १५ सवारिया बैठ सकते है| फिर उसने कहा की, मै अब टेम्पो खरीद लूँगा और उसने लाल रंग की टेम्पो खरीद ली| खेरवाडा से बिछीवाडा तक का किराया ३० रूपये है|

अनीता

टेम्पो में बैठकर आते तथा जाते है| आते है हो तो सामान लेकर आते है| कभी-कभी टेम्पो में भीड़ होती है| अगर गाडी नहीं मिली तो पैदल – पैदल जाते है| बहुत बार बच्चे टेम्पो में रोते है| टेम्पो में बैठकर लोग कपडे सिलवाने जाते है|

ममता, मनीषा

टेम्पो हमारे लिए लाभदायक है| टेम्पो एक पुरानी तथा उपयोगी चीज है| हम कभी-कभी टेम्पो में बैठकर खेरवाडा, बोखला जाते है| टेम्पो के तीन पहिये होते है| टेम्पो के किराये का ७ रुपये देते है| वह रुका हुआ जाता है| टेम्पो वाला एक दिन के ५००-६०० रुपये कमाता है| भुवाली के टेम्पो बहुत सवारी लिया करता है| टेम्पो बस स्टेंड पर खड़ा होता है| टेम्पो में १५ सवारी लेके जाते है|

टीना

टेम्पो एक यातायात का साधन है| अगर टेम्पो नहीं होता तो हमारे लिए समस्या होती| जो रोजाना आते-जाते है तो उनके लिए तो बड़ी समस्या होती है| घुमने जाने के लिये टेम्पो की आवश्यकता होती है| हम टेम्पो की वजह से एक स्थान से दुसरे स्थान में जा सकते है| टेम्पो वाले लड़कियों को चिढाते है| अगर टेम्पो में पेट्रोल नहीं होता तो टेम्पो चलाने में क्या मजा आता? टेम्पो स्टैंड पर एक के पीछे एक टेम्पो के नम्बर लगते है| कभी-कभी, अलग – अलग रुट में नम्बर लगाने से दो टेम्पो वाले के बिच झगडा हो जाता है|


मणी, तमन्ना, गायत्री और कामिनी

पीले रंग की टेम्पो अच्छी लगती है| छोटे टेम्पो बोखला तक जाता है| टेम्पो टी-टी करता है| टेम्पो में छोटे बच्चोको बिठाते नहीं, पर उसमें खड़े हो जाते है| आजकल टेम्पो के पाच पहिये होते है| टेम्पो भी खाना खाता है, उसका खाना पेट्रोल है| वह टायर के बिना चल नहीं सकता| मुझे टेम्पो में जाना पसंद है| टेम्पो के ऊपर लिखा होता है की, “आकाश में गडडी उड़े आकाश के वास्ते, सडक पर टेम्पो चले सवारी के वास्ते...................”

बसंती

हम टेम्पो में बैठकर खेरवाडा, डूंगरपुर, उदयपुर, बिछिवाडा आदि स्थान पर जाते है| टेम्पो में बैठकर कर कही पर भी जाते है| टेम्पो में भीड़ होती है| कभी-कभी टेम्पो का एक्सीडेंट भी हो जाता है| फिर लोगोंको काफी चोट भी पहुचती है| कोई मर भी जाते है| सवारियोंको ठूस-ठूस के भरते है| टेम्पो में इतने सवारी भर लिए जाते है की, कही भी खाली नहीं रहता| कभी-कभी टेम्पोवाला दारू पीकर चलाता है| टेम्पो में गेहू ले जाते है| रस्ते में कही सवारी हो तो उनके के लिए हॉर्न बजता है और सवारी टेम्पो में बेठने के लिए दौड़ते-दौड़ते आते है की कही टेम्पो निकल न जाए| टेम्पो में बैठने के लिए नम्बर नहीं लगते| सवारी झगड़-झगड़ कर टेम्पो में बैठ जाते है| शाम को टेम्पो वाला सवारी लेकर एक-एक स्थान पर सवारीयोंको छोड़कर फिर अपने घर पर आ जाते है| सुबह से निकलने से पहले टेम्पो को अच्छी तरह सजाकर अगरबत्ती लगाते है| बहुत सजाकर लेकर निकलते है तो रस्ते में सवारी मिलती है|

किरण, निशा, मनीषा, शिल्पा और कमला

टेम्पो के तीन पहिये होते है| टेम्पो में हम खेरवाडा जाते है| टेम्पो में हम अपना सामान लाते है| टेम्पो नहीं मिलता तो हम पैदल-पैदल जाते है| टेम्पो के अलावा जिप और अन्य गाडिया हाय – वे पर चलती है| हम खेरवाडा में १० रूपये में जाते है| कभी-कभी टेम्पो बिघड भी जाता है| तो एक्सीडेंट भी हो जाता है| रात को जाता है तो लाइट भी नहीं चलती तो अँधेरे में चल नहीं सकता| क्योंकि वह रात में गिर जाता है|

राहुल, सुनील

टेम्पो रोड पर चलती है| टेम्पो में लोग मेहमान जाते है| टेम्पो से लोग आते समय सब्जिया –फल लाते है| टेम्पो में अधिक सवारी न बैठे| वाहन चलाते समय फ़ोन का उपयोंग न करे| वाहन चालते समय सरबत पीकर गाडी न चलाये ड्रायवर को पता नहीं हो तो आगे गाडी जाकर सामने से दुसरे गाडी को टकराती है|

उर्वशी

टेम्पो को सुबह सफाई करते है| उसे अगरबत्ती लगाते है| उसके बाद ही गाडी चलती है और तभी ही टेम्पो वाला सवारी लेता है| कभी-कभी टेम्पो बिगड़ता| है| टेम्पो वाला दारू पीकर चलाता है तो टेम्पो गिर भी जाता है| टेम्पो जब नहीं था तब लोक पैदल तथा टाँगे का इस्तेमाल करते थे| अगर सवारी एक टेम्पो में से दुसरे टेम्पो चले जाए तो झगडा भी हो जाता है| किसी-किसी टेम्पो में टेप भी चलता है| मजा आता है| कभी-कभी पुलिस टेम्पो को पकड़ भी लेते है|

वंदना, राकेश

हमारे घर में कोई चीज नहीं होती तो हम खेरवाडा जाते है| टेम्पो पेट्रोल पिता तभी तो चलता है| टेम्पो के पांच पहिये होते है| टेम्पो भुट-भुट करता है| टेम्पो के लिए हम “रुको” यु कहते है| टेम्पो में पाच सिट होती है| टेम्पो में हम बैठकर बहुत प्रसन्न होते है|

सुकना

टेम्पो बहुत उपयोगी चीज है| हम रोड क्रोस करके टेम्पो में बैठते है| वह टेम्पो रुक-रुक कर जाता है| किसी-किसी टेम्पो में गाना चलता है, उसे हम सुनते है| फिर खेरवाडा आ जाते है| कोई ७ रुपया तो कोई १० रुपया किराया देते है| और फिर हम सामान लेके वापिस जाते है|

आशा

टेक्सी नहीं मिलती तो टेम्पो में जाते है| खेरवाडा में हम ५ रूपये देकर जाते है| टेम्पो बहुत पुरानी चीज है| टेम्पो के आगे लम्बा हाथ किया जाये तो वो रुकता है|

करुना, मनीषा, सोनिया, सरला

अगर टेम्पो नहीं होता तो क्या होता? अगर टेम्पो नहीं मिलता तो हम पैदल-पैदल जाते है| हमें टेम्पो की बहुत आवशयकता होती है| जब टेम्पो में भीड़ होती है तो हम उसमे नहीं बैठ सकते है तो हम जीप में बैठकर जाते है| अगर टेम्पो नहीं होता हो खेरवाडा में जाने की आवश्यकता नहीं होती|  
अविनाश, अभिषेक

टेम्पो की रेंज १८० है| टेम्पो की चार सिट होती है| टेम्पो मै चलाना जानता हु और सिखा भी सकता हु| टेम्पो चलाने में बड़ी मुसीबत है| टेम्पो में दो ब्रेक तथा चार टायर आते है| टेम्पो तेज चलता है|

राहुल, महेंद्र

टेम्पो हमारे लिए एक अच्छी चीज है| वो डूंगरपुर या खेरवाडा ले जाता है| खेरवाडा से हम आलू, हरी सब्जी, टमाटर, रतालू, गोभी, मटर, मिर्ची आदी लाते है| जब कही जाना हो तो टेम्पो वाला पूछता है की कहा जाना चाहते हो? तो में बोलता हु के मुझे खेरवाडा जाना है| तो बातो-बातो में खेरवाडा आ जाता है| हम टेम्पो से उतरकर अंकल जी से पूछते है की, “आपके कितने पैसे हुए?”  अंकल जी कहते है की, ७ रुपये हुए है| फिर मै जेब से पैसे निकालकर उन्हें दे देते है|
हम बाजार गए तो दो पेन खरीदे| एक कॉपी खरीदी| अंकल जी को ३० रुपये दिए| १० रुपये की, पानपुड़ी खाई| मुझे रस्ते में दोस्त मिल गए तो वो पूछने लगे की, क्या करने आया हु? मै कहता हु की घुमने आया हु| फिर उसके बाद घर आया और घर आकर कुछ काम किया|

चन्द्रशेखर

टेम्पो सवारी बैठाने के काम में आता है| टेम्पो १ लाख रूपये में आता है| टेम्पो पैसे कमाने के काम आता है| टेम्पो में २० सवारी बिठाते है| कोई किराया ५ रूपये देता है तो कोई १० रूपये देता है| कई सारे टेम्पो वाले ५ रूपये में नहीं बिठाते है, वे १० रूपये लेते है|

अंजली

टेम्पो सभी सवारियों को लेके जाता है सभी नहीं मतलब टेम्पो में जितने सवारी बैठ सकते है इतने ही लेके जाता है| टेम्पो कुछ ज्यादा सवारी हो जाते तो टेम्पो सडक पर आता है तो टेम्पो वाला मेरे पास सवारी ज्यादा हो गए है यु करके उस टेम्पो में जितने सवारी बराबर बैठ गए तो दुसरे सवारियों को बैठने की जगह नहीं होती तो टेम्पो वाला अपना टेम्पो नहीं रुकाता है क्योंकि टेम्पो में सवारी ज्यादा हो जाते है तो टेम्पो पलटी खा जाता है, तो टेम्पो में बैठे हुए कुछ सवारियों में से कुछ लोग मर जाते है और कुछ घायल भी हो जाते है| कभी-कभी ऐसा भी होता है की, ९-१० सवारी जैसे होते है वैसे ही रहते है| कभी-कभी टेम्पो वाला सवारियों को यु बोलता है की, “सवारियों आओ तो वेलकम जाओ”| हम टेम्पो में बैठते है तो बहुत सुहावनी हवा लगती है मतलब गर्मियों के मौसम में जब टेम्पो बस स्टेंड पर खड़ा होता है, टेम्पो वाला तो लोगोंको को बोलता है की, “टेम्पो में बैठ जाओ”|

मनोहर

हम टेम्पो वाले को कहते है की, हमको खेरवाडा लेके जाओ, तो पूछते है की, की कितने पैसे लोगे? वो कहता है की, १ रुपया लेगा| वो कहता है की. चलो बैठ जाओ| हम बोलते है की हमें जल्दी जाने दो|” खेरवाड़ा आ जाता है| खेरवाडा से सब्जी, आलू, टमाटर, गोभी, टमाटर, भिन्डी, मिर्ची, केले, पपीता, बैंगन  और अंगूर, एक-एक किलो लेते है| अब क्या बाकी है? मीठी-मीठी लस्सी पीनी है| चलो पिलो, पीकर चल पड़े| फिर हम टेम्पो में बैठ गए, आधे रस्ते में ही टायर फुट गया| ड्रायवर जोर- जोर से रोने लगा क्योंकि  ड्रायवर का हाथ टूट  गया| फिर १०८ को फ़ोन करके उसे दवाखाना लेके गए|



                      

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